पाण्ड्य वंश
पाण्ड्य वंश के बारे प्रथम उल्लेख पाणिनि द्वारा रचित अष्टाध्यायी नामक ग्रन्थ से मिलाता है, यह ग्रन्थ व्याकरण के आधारित एक ग्रन्थ है| इसके अलावे रामायण, महाभारत, चाणक्य के अर्थशास्त्र, मेगास्थनीज के इंडिका और अशोक के शिलालेखों में भी इस राजवंश के बारे में जानकारी मिलती है| मेगास्थनीज के इंडिका में पाण्ड्य को माबर से संवोधित किया गया है, इस पुस्तक में बताया गया है कि इस पर हेराक्त के पुत्री राज चलता था और यह राज्य अपनी मोतियों के माला के लिए प्रसिद्ध था|
चाणक्य के अर्थशास्त्र में बताया गया है कि इस राज्य की राजधानी मदुरै थी और यह अपने व्यापारिक गतिविधियों, वस्त्रों व मोतियों के लिए प्रसिद्ध था| अर्थशास्त्र के अनुसार मछली (मत्स्य) इस राजवंश का प्रतीक चिन्ह था|
नेडियान
प्राप्त जनकारी के अनुसार इस वंश का प्रथम शासक के रूप में नेडियान था जिसका अर्थ होता है लम्बा आदमी| नेडियान एक पौराणिक राजा था और इसके बारे में अधिक जानकारी नहीं मिलती है पर इसके बारे में कहा जाता है की इसने ही सागर पूजा का प्रारंभ किया था| नेडियान को भागीरथी के सामान माना जाता है क्योंकी की दक्षिण भारत के पहरुली का उद्गम इसी ने करवाया था|
मुडूकुडमी
पालूशालैमुडूकुडमी को पाण्ड्य वंश का प्रथम इतिहासिक राजा माना जाता है हालाँकि इसका मूल नाम मुडूकुडमी था और पालूशालै इसकी उपाधि थी| अधिक यज्ञ और यज्ञ शालायों के निर्माण कराने के कारण इसे पालूशालै की उपाधि दिया गया|
संगम साहित्य का प्रथम महाकाव्य शिल्पादिकारम में जोक एक प्रेम कहानी का जिक्र होता है जिसमे कोलवन नामक एक नायक तथा कण्डनी नामक एक नाइका होती है| इसके बारे में बताया जाता है की पालूशालैमुडूकुडमी ने चोरी के आरोप में कोलवन को मृत्यु दण्ड दे-देता है तो कण्डनी ने सत्ती प्रथा को अपना लेती है लेकिन जब बाद में पालूशालैमुडूकुडमी को सच्चाई की पता चलता है तो कोलवन निर्दोष था तो पालूशालैमुडूकुडमी ने आत्महत्या कर लिया|
कारकै
इसने अपने पिता पालूशालैमुडूकुडमी की गलती का सुधार करते हुए कोलवन और कण्डनी के स्मृति पर महाउत्सव का आयोजन करवाया|
नाल्लिक्कोडन
यह पाण्ड्य वंश का अंतिम शासक माना जाता है इसी के साथ पाण्ड्य का वंश का पतन हो जाता है| इसके शासनकाल में राज्य में आराजकता काफी बढ़ गया गया था जिसे रोकने के पंचावरम का गठन किया इस पंचावरम में अपने क्षेत्र के पांच प्रसिद्ध लोगो शामिल होते थे| जैसे की पांच प्रसिद्ध व्यापारी, पांच प्रसिद्ध कवि आदि हालाँकि इसके बाद पाण्ड्य वंश का पूरी तरह से पतन नहीं हुआ वल्कि इसके बाद भी कभी उदय तो कभी पतन होते रहा| साथी ही इस वंश के राजा में बारे में भी आसान शब्दों में कहें तो पाण्ड्य राजवंश के बारे में स्पष्ट जानकारी प्राप्त नहीं होती है|
अन्य प्रमुख तथ्य
- इस राज्य में कुल तीन प्रकार के कर कराई (भूमि), इराई (लुट) तथा उल्गू (सीमा शुल्क) लगाया जाता था|
- मेगास्थनीज ने बताया है की पाण्ड्य देशी में स्त्रियों का राज्य चलता था|
- मुरुगन देवता सबसे प्रसिद्ध देवता थे|
- वेनिगर – व्यापार
- याल – वाद्ययंत्र