मुहम्मद गोरी

मुहम्मद गोरी : गयासुद्धीन मुहम्मद बिन साम ने 1163 ई० में गजनी के पास गोर नामक एक स्वतंत्र रियासत की स्थपाना की| गयासुद्धीन मुहम्मद बिन साम 1173 ई० में गिज के तुर्कों को गजनी से खदेड़ दिया और अपने भाई शिहाबुद्धीन मुहम्मद बिन साम को वहाँ की गद्दी पर बैठा दिया| शिहाबुद्धीन मुहम्मद बिन साम को ही मुइजुद्दीन या मुहम्मद गौरी के नाम से जाना जाता है|

मुहम्मद गोरी

साम्राज्य विस्तार के उदेश्य से 1175 ई० में मुल्तान पर तथा 1176 ई० में सिन्ध को जीता| मुहम्मद गौरी 1178 ई० में गुजरात पर आक्रमण किया इस समय गुजरात पर भीमदेव द्वितीय या मूलराज द्वितीय का शासन था| भीमदेव द्वितीय अपने विधवा माँ नायिका देवी के नेतृत्व में माउन्ट आबू पर्वत के निकट मुहम्मद गौरी को बुरी तरह से पराजित कर दिया|

मुहम्मद गौरी 1179 ई० में पेशावर, 1181 ई० में लाहौर तथा 1189 ई० में भटिन्डा को जीता|

पृथ्वीराज चौहान और मुहम्मद गौरी

1191 ई० में पृथ्वीराज चौहान और मुहम्मद गौरी के बीच हुई जिसे तराईन के प्रथम युद्ध में मुहम्मद गौरी की पराजय हो जाती है किन्तु पृथ्वीराज चौहान जीवित छोड़ दिया जोकि आगे चलकर काफी नुकसान देह साबित हुआ|

1192 ई० में पृथ्वीराज चौहान और मुहम्मद गौरी के बीच पुनः युद्ध हुआ जिसे तराईन का द्वितीय युद्ध कहा जाता है इस युद्ध में पृथ्वीराज चौहान की हार हो गयी| हार के बाद पृथ्वीराज चौहान को बंदी बनाकर प्रताड़ित किया गया अंततः बंदी में ही पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु हो गई|

गौरी को आमंत्रण किसने किया

बता दे की जयचंद और पृथ्वीराज चौहान के बीच हमेशा से शत्रुता रहता था क्योंकी जयचंद एक कमजोर शासक होता है| जिसके लिए पृथ्वीराज चौहान को हरा पाना संभव नहीं था इसलिए जयचंद ने ही मुहम्मद गौरी को पृथ्वीराज चौहान के राज्य पर हमला करने के लिए आमंत्रित किया था|

भारत में तुर्क राज्य की स्थापना

1194 ई० में गौरी जयचंद के राज्य पर भी आक्रमण कर दिया इस युद्ध को चंदाबर का युद्ध कहा जाता है| इसमें जयचंद को पराजय हो गई और इस प्रकार भारत में तुर्की साम्राज्य की स्थापना हुई| भारत में तुर्क साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक गौरी को माना जाता है|

गौरी के पास कई गुलाम था जैसे की कुतुबुद्धीन ऐवक, बख्तियार खिलजी आदि गुलामों में ही कुतुबुद्दीन ऐवक आगे चलकर गुलाम वंश की स्थपना की| गौरी जब भारत से वापस लौट रहा था तब खोखरो नामक एक जनजाति गौरी पर आक्रमण कर दिया| इसी खोखरो जनजाति को दमन करने के लिए गौरी पुनः भारत आता है किन्तु सिन्धु नदी के किनारे दश्मक नमक स्थान पर 1206 ई० में गौरी की हत्या कर दी गई|

मुहम्मद गौरी के समय जारी सिक्को के एक तरफ देवी लक्ष्मी के चित्र तथा दूसरी तरफ अरवी भाषा में कलमा लिखा है|

कुतुबुद्धीन ऐवक – गौरी अपने जीते हुए प्रदेशों को कुतुबुद्धीन ऐवक को शौपकर वापस लौट गया|

बख्तियार खिलजी – यह बिहार और बंगाल विजय के लिए निकला इसी दौरान इसने नालंदा विश्व विद्यालय और विक्रमशिला विश्व विद्यालय को नष्ट कर दिया|

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