मौर्य कला
मौर्य कला : मौर्य काल में अधिकतर कलाकृतियाँ पत्थरों पर की गई जिस कारण कलाकृतियाँ लम्बे समय तक बनी रही! अशोक के शासनकाल में बड़ी संख्या में शिलालेख, स्तम्भ लेख तथा गुहालेख का निर्माण करवाया गया! इसका उद्देश्य अपने प्रशानिक और धार्मिक व्यवस्था का प्रचार-परसार करना था लेकिन इन सब का निर्माण अपने-आप में एक विशेष कला को दर्शाता है!
अशोक के शिलालेख
भारत में शिलालेखों का प्रचालन अशोक के शासनकाल में हुआ! शिलालेखों में ब्राहमी, खोरोष्ठी, ग्रीक एवं अरमाइक लिपि का प्रयोग किया गया, किन्तु शिलालेखों पर सबसे अधिक ब्राहमी लिपि का प्रयोग मिलता है!! अशोक के अभिलेखों को तीन भागो में बाटा गया है, शिलालेख, स्तम्भ लेख तथा गुहालेख|
अशोक के अभिलेख मौर्य कला के बेहतर उदाहर प्रस्तुत करते हैं, शिलालेखों की संख्या 14 है, जिसकी खोज 1750 ईस्वी में पाद्रेटी फेन्थैलर ने किया और इसे सर्वप्रथम 1837 ईस्वी में जेम्स प्रिंसेप द्वारा सफलतापूर्वक पढ़ा गया!
शिलालेख | विषय |
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पहला शिलालेख | पशु के बलि की निंदा किया गया है |
दूसरा शिलालेख | मनुष्य और पशु के चिकित्सा व्यवस्था का वर्णन है |
तीसरा शिलालेख | हर पांच वर्षों में अधिकारियों को दौरे पर जाने का निर्देश दिया गया है तथा कुछ धार्मिक नियमों का उल्लेख है! |
चौथा शिलालेख | भेरिघोष (युद्ध) की स्थान पर धम्यघोष (धर्म मार्ग) की घोषणा किया गया है |
पांचवां शिलालेख | धर्म-महामात्रों की नियुक्त के बारे में जनकारी दिया गया है |
छठा शिलालेख | आत्म नियंत्रण की शिक्षा का उल्लेख |
सातवाँ और आठवाँ शिलालेख | अशोक के तीर्थ यात्रा का उल्लेख |
नौवाँ शिलालेख | सच्ची भेट और सच्ची शिष्टाचार का उल्लेख |
दसवाँ शिलालेख | अशोक ने आदेश दिया है की राजा और उच्च अधिकारी हमेशा प्रजा के हित के बारे में सोचे |
ग्यारवाँ शिलालेख | धम्य की व्याख्या |
बारहवाँ शिलालेख | स्त्री-महामत्रों की नियुक्ति और सभी प्रकार के विचारों के सम्मान का उल्लेख |
तेरहवाँ शिलालेख | कलिंग युद्ध, हिर्दय परिवर्तन एवं पडोसी राजाओं का उल्लेख |
चौदहवां शिलालेख | जनता को धार्मिक जीवन बिताने के लिए प्रेरित किया |
स्तम्भ
स्तम्भों की संख्या 7 थी जिसे 6 स्थापनों से प्राप्त किया गया है इसमें से अधिकतर स्तंभ बिहार से मिला है! स्तम्भों में सबसे प्रमुख सारनाथ स्तम्भ है इसकी सबसे बड़ी विशेषता इसके ऊपर चारों दिशायों में बनाया गया चार शेर का आकृति है! तथा इसके नीचे चार पशुओं हाथी, घोड़ा, सिंह तथा वैल की आकृति है! और सबसे नीचे अशोक चक्र बनाया गया है जिसमे 24 तीलियाँ है! इसी आकृति को भारत का रास्ट्रीय चिन्ह के रूप में लिया गया है और तिरंगे में बने चक्र भी इसी स्तम्भ से लिया गया है!
गुफलेख
पहाडो को काटकर जो गुफा बनाया जाता था उसी को गुफलेख या गुफाविहार कहा जाता था! कई वार इसे भिक्षुओं के निवास के लिए बनाया जाता था! इसकी शुरुआत अशोक ने किया अशोक ने अजीवकों को को रहने के लिए गया (बिहार) में स्थित बराबर के पहाडियों को काटकर चार गुफाओं कर्ण, चौपार, सुदामा और विश्व झोपडी का निर्माण करवाया! अशोक के पौत्र दशरथ ने भी अजीवकों को रहने के लिए गया (बिहार) में नागार्जुन की पहाड़ियों को काटकर गुफा का निर्माण करवाया था!
स्तूप
स्तूप परम्परा की शुरुआत मौर्य काल में हुआ अशोक ने कई सारे स्तूपों का निर्माण करवाया जिसमे साँची का स्तूप और भरहुत का स्तूप प्रसिद्ध है!
राजप्रसाद
राजप्रसाद अर्थात राजा का महल का निर्माण पाटलिपुत्र में चाद्र्गुप्त मौर्य ने करवाया था! यह इतना भव्य था की इस महल के बारे में जितने भी विदेशी यात्री आयें उन्होंने लिखा है की इसकी तुलना देवताओं की महल की जा सकती थी!
इस महल की सबसे बड़ी विशेषता थी की यह पत्थरों के पिलर पर बना विशाल महल था इसमें 80 पिलरों का प्रयोग किया गया था, यह पहलीवार देखने को मिलता है की बड़े-बड़े इमारतों में पत्थरों के पिलर का प्रयोग किया! महल के फर्श तथा छत लकड़ियों से निर्मित था!
लोक कला
इसे स्थानीय कला को लोक कला के नाम जाता था, इस कला का विकास स्थानिये लोगो के द्वारा किया गया था! इस से यक्ष एवं यक्षिणी की मूर्तियों का निर्माण किया गया इन्हें देवताओं के प्रारंभिक दूत के रूप में माना गया आगे चलर इसका प्रयोग दैवीय कला के रूप में होने लगा अतः इसे मूर्ति पूजा का प्रारंभिक रूप माना जाता है!
अशोक के धम्म
कलिंग युद्ध के बाद जब अशोक ने बौद्ध धर्म को अपनाया तो अशोक ने कई नीत्तियों और विचारों को उसमे जोड़ा इसलिए बहुत सारे इतिहासकारों का मानना है की अशोक का धर्म केवल बौद्ध धर्म नहीं था वल्कि उसमे कई धर्मो का सार था अर्थात अशोक का धर्म नैतिकता आधारित धर्म था!
अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए अपने पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा को श्रीलंका भेजा साथ ही गया से ही एक पीपल का वृक्ष को भी अपने साथ ले गया! श्रीलंका में जाकर वहाँ के राजा को पीपल का वृक्ष उपहार स्वरुप दिया और श्रीलंका के राजा ने बौद्ध धर्म को अपना लिया! इसी प्रकार से नेपाल में भी बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार किया गया|
अशोक ने अपने पुत्र और पुत्री के माध्यम से अन्य देशों में भी बौद्ध धर्म का प्रचार किया! भारत के अशोक धर्म के प्रचार के लिए धम्य-महामात्रों की नियुक्ति किया जोकि प्रत्येक पांच वर्ष पर समाज में घूम-घूमकर धर्म का प्रचार करता था!
अशोक ने धार्मिक यात्रा कर भी धर्म का प्रचार किया धार्मिक यात्रा में सबसे पहले बोधगया गया जहाँ गौतम बुद्ध को शिक्षा प्राप्त हुआ था! फिर कुशीनगर, लुम्बनी, कपिलवस्तु, सारनाथ और सबसे अंत में श्रावस्ती की यात्रा किया!
मौर्य कला अन्य
- अपने राजा बनाने के 9वें वर्ष बाद कलिंग का युद्ध किया था
- प्रथम पृथक् शिलालेख में घोषणा किया गया है की सभी मनुसय मेरे बच्चे है
- कौशाम्बी के अभिलेख ओ “रानी का अभिलेख” कहा गया है
- सातवाँ अभिलेख सबसे बड़ा अभिलेख है
- अशोक के स्तम्भ लेखों की संख्या 7 है जो केवल ब्राही लिपि में लिखा गया है
- रुम्मिदेई सबसे छोटा स्तम्भ लेख है
- मौर्य काल में बनाए गए मिट्टी के बर्तन को उत्तरी काली पॉलिस मृदभांड के नाम से जाना जाता है!