मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद ब्राहमण साम्राज्य का उदय हुआ इन्ही में से था, शुंग वंश क्योंकी पुष्यमित्र शुंग खुद भी एक ब्राहमण था अतः इनके शासनकाल में हिन्दू धर्म का पुनः उत्थान हुआ साथ ही अन्य धर्मों के साथ के सामान व्यवहार किया|
शुंग वंश की स्थापना
भारत पर जब यवन आक्रमण का खतरा बढ़ता ही जा रहा था जिसे सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने राजा बृहद्रथ लप इस खतरे से अबगत कराया किन्तु बृहद्रथ इस खतरे को बार-बार नजरअंदाज कर रहा था| क्योंकी सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म को अपनाने के बाद धम्म नीति (धर्म का मार्ग, अहिंसा) को अपनाया लिया था अतः युद्ध या किसी हिंसा नहीं चाहता था|
इसलिए पुष्यमित्र शुंग ने आक्रमण के खतरे को देखते हुए बृहद्रथ की हत्या कर दिया और 185 ईसा पूर्व में शुंग वंश की स्थापना किया| किन्तु राजा बनाने के बाद भी पुष्यमित्र शुंग हमेशा सेनापति के रूप में ही रहा वह कभी भी एक राजा की तरह उपाधियाँ धारण नहीं किया| अचानक हुए इस परिवर्तन के कारन विद्रोह ना हो इसलिए इन्होने अपने राजधानी पाटलिपुत्र से विदिशा स्थानान्तरण कर दिया|
पुष्यमित्र शुंग अपने 36 वर्षो के शासनकाल में यूनानियों से दो बार युद्ध किया और दोनों बार यूनानियों को पराजित किया| प्रथम युद्ध में यवन के सेनापति डेमोड्रेयस को पराजित किया जिसका वर्णन गार्गी संहिता में मिलता है और दुसरे युद्ध में यवन के सेनापति मिनांडर को पराजित किया जिसका वर्णन कालिदास द्वारा रचित मलिकाग्निमित्रम में मिलता है
इस वंश का अंतिम शासक देवभूति था इसकी हत्या 73 ईसा पूर्व में वासुदेव ने कर दी और मगध पर कण्व वंश की स्थापना दी|
कालिदास की रचना मालविकाग्निमित्र में अग्निमित्र नामक राजकुमार तथा मालविका नामक राजकुमारी के प्रेम विवाह का वर्णन है| कालिदास की रचना गुप्त काल में किया गया था लेकिन लेकिन रचना में जिस अग्निमित्र का जिक्र है वह पुष्यमित्र शुंग का पुत्र व शुंग वंश का दूसरा शासक है!
कला एवं धर्म एवं कला
शुंग वंश के समय वैष्णव धर्म (हिन्दू धर्म) का पुनः उत्थान हुआ और जो मौर्य वंश तथा उसके पहले बौद्ध धर्म और जैन धर्म जिस प्रकार से भारत में फैला था वह शुंग वंश के समय धीरे-धीरे कम होने लगता है|
पतंजलि पुष्यमित्र शुंग के दरवार में रहतें थे इन्होने ने पुष्यमित्र के लिए दो बार अश्वमेध यज्ञ करवाएँ पहले राजा बनाने के बाद और दूसरा अंतिम समय में|
मनुस्मृति की रचना मनु ने किया था इसका संवंध सामाजिक-कानूनी व्यवस्था से है माना जाता है की इसकी रचना शुंग वंश के शासनकाल के दौराण किया गया|
पुष्यमित्र शुंग राजा बनाने के बाद अशोक द्वारा बनाए गए 84 हजार स्तूपों को नष्ट करवा दिया हालाँकि बाद में पुष्यमित्र शुंग ने ही भरहुत स्तूप व साँची स्तूप का निर्माण करवाया साथ ही पहलीवार स्तूपों की घेराबन्धी करने के लिए लकड़ी के स्थान पर पत्थरों का प्रयोग किया गया|
अन्य जनकारी
- मनुस्मृति के वर्तमान स्वरूप की रचना शुंग शासन काल में हुआ|
- विदिशा का गरुड़ स्तम्भ का निर्माण
- अजंता के 9वाँ चैत्य मंदिर का निर्माण
- नासिक और कार्ले के चैत्य मंदिर का निर्माण
- भारतियों ने यवनों से ज्योतिष विद्या के कुछ गुण सीखें जैसे की सप्ताह में सात दिन होते है और जिसका नाम विभिन्य ग्रहों के नाम पर रखा गया है|
- नक्षत्रों को देखकर भविष्य देखने की विद्या भी यवनों से सीखें|