Anne Frank : शायद आपने 10वीं क्लास में द डायरी ऑफ़ यंग गर्ल नाम की पुस्तक तो पढ़ें होंगे| और अगर नहीं पढ़े भी हैं तो मै बता दू की उसी पुस्तक ने एक छोटी बच्ची और उसके डायरी का जिक्र था| वो डायरी 15 साल की एक छोटी बच्ची एनी फ्रेंक ने लिखी थी| आज जर्मनी में anne frank (एनी फ्रेंक) की डायरी की 75वीं एनिवर्सरी है और इस खास मौके पर गूगल ने भी एक खास डूडल तैयार किया है|
एनी फ्रेंक का परिचय – Anne Frank
दुसरे विश्व के युद्ध के दौरान जब नाजियों ने नीदरलैंड पर कब्ज़ा कर लिया था और लोग अपनी जान बचाने के लिए छिपकर रहने लगें| एनी फ्रेंक उन्हीं में से एक थी यह एक यहूदी परिवार से थी और अपने परिवार के साथ छिपकर रहती थीं| जब एनी फ्रेंक 13 वर्ष की थी तब उनके पिता उनके जन्मदिन पर एक डायरी गिफ्ट की थी, उस डायरी में एनी अपने रूटीन के साथ-साथ नाजियों द्वारा हुए अत्याचार को भी लिखती थी|
प्रारंभिक जीवन
anne frank (एनी फ्रैंक) का जन्म जर्मनी के फ्रेंकफर्ट में 12 जून 1929 को हुआ था, वे एक लेखिका बनना चाहती थी और ये सपना उनके मौत के बाद पूरा हो पाया| यहूदियों के साथ जर्मनी में हो रहे भेदभाव के कारन एनी का परिवार उनके जन्म के कुछ दिन ही फ्रंक्फार्ट को छोड़कर नीदरलैंड आ गया था| जिस समय दुसरे विश्वयुद्ध की शुरुआत हुआ, उस समय वह 10 वर्ष की थी और उनका आधा बचपन परिवार के साथ छिप-छिपकर बिताया|
डायरी की शुरुआत
एनी ने सीक्रेट जगह पर आने के बाद ही डायरी लिखने की शुरुआत कर दी और डायरी का नाम किट्टी रखा| उन्होंने अपने अज्ञातवास के हर क्षण को अपने डायरी के साथ शेयर किया और साथ ही नाजियों के द्वारा किये जा रहे अत्याचार को भी अपनी डायरी में नोट किया |
डायरी ही उनकी बेस्ट फ्रेंड्स बन गई, इस हर वो दृश्य जैसे की गलियों की आवाज, लोगों की चीखें यादी डायरी में लिखी जिसे एनी ने बेहद ही करीब से देखा था| इस डायरी के जरीय दुनियाँ को कुछ और बता पाती उससे पहले ही 1944 में उन्हें और उनके परिवार को ग्रिफ्तार कर डिटेंशन सेंटर भेज दिया गया| डिटेंशन सेंटर में दुर्व्यवहार किया गया और यहाँ यातनाएँ दी गई|
अंतिम जीवन
सेंटर में भयंकर बीमारियाँ फैली थी जिसे anne frank सहन नहीं कर पाई और 15 वर्ष की उम्र में डिटेंशन सेंटर में ही अपना दम तोड़ दिया| उनका लेखक बनने का सपना अधुरा नहीं रहा क्योंकि एनी के माता पिता, इस डायरी को छपवाया और उनके लेखक बनने के सपने को साकार किया|
एनी की यह डायरी आज इतिहास की हिस्सा बन गई, यह डायरी पहली बार 1947 में ‘द डायरी ऑफ़ ए यंग गर्ल’ के नाम से छपी और अब तक 70 से अधिक भाषाओं में यह किताब छापी जा चुकी है|