गुप्त प्रशासन एवं समाज की विशेषता | Gupt kalin Prashasan

गुप्त प्रशासन : गुप्त काल के शुरुआत में राजा सबसे महत्वपूर्ण होते था लेकिन उतना नहीं जितना की मौर्य काल के राजा महत्वपूर्ण होते था! क्योंकी दूर के क्षेत्रो पर केंद्र का पूरी तरह से नियंत्रण नहीं था वल्कि वहां के सामंत (आज के मुख्यमंत्री) स्वतंत्र तरीके से शासन चलाते थे! आगे चलकर जैसे-जैसे राजा कमजोर होता गया उनका महत्त्व भी और कम होता चला गया!

गुप्त वंश के शासक अपने को दैवीय अधिकार मानते थे अर्थात उनका मानना था की देवों के द्वारा उन्हें राजा बनाकर भेजा गया है और साम्राज्य स्थापित करने का अधिकार उन्हें देवताओं के द्वारा प्राप्त हुआ है! गुप्त काल से ही दैवीय अधिकार के प्रावधान का प्रराम्भ होता है जोकि आगे चलाकर व्यापक हो जाता है!

प्रशासन के विभाजन | Gupt kalin Prashasan

  • पुरे साम्राज्य को कई भागों में बाटा गया था सबसे बड़ा देश > भुक्ति > बिषय > ग्राम, ग्राम प्रशासन की सबसे छोटी इकाई थी!
  • सबसे बड़ा भाग देश होता था जिसके अधिकारी गोपन कहलाते थे
  • भुक्ति के अधिकारी उपरिक कहलाते थे
  • विषय के अधिकारी विषयपति कहलाते थे
  • ग्राम के अधिकारी को ग्रामिक

समाज

वर्ण व्यवस्था काफी जटिल हो गया था जहाँ पहले चार वर्ण ब्राहमण, क्षत्रिय, वैश्य और शुद्र होता था तो वहीँ गुप्त काल में उपजातियों का भी उदय हो गया!

उपजातियों का निर्धारण जब कोई गुप्त काल में कुछ अलग कार्य करने लगता था तो उसके कर्म के आधार पर अलग जाती का नाम दे दिया जाता था और अगर कोई दो वर्णों के बीच विवाह होता था तो उसे अलग जाती का नाम दे दिया जाता था! जैसे की ‘कयास’ जाती इसका वर्णन सबसे पहले गुप्त काल में मिला है यह उन लोगों का जाती था जो लेखन या पठन-पाठन का कार्य करते थे!

दास एवं अछूतों की स्थिति काफी दैनीय थी! शती प्रथा का पहला प्रमाण भानुगुप्त के एरण अभिलेख से मिला है जिसे संभवतः 510 ईस्वी में बनाया गया था!

अर्थव्यवस्था

  • गुप्त काल में कृषि अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार था!
  • 1/4 से 1/6 भाग कर के रूप में लिया जाता था!
  • व्यापार के लिए एक व्यापार संघ बनाया गया था इसके अध्यक्ष को जेष्ठक कहा जाता था
  • ताम्रलिपि गुप्त काल का प्रमुख वन्दरगाह तथा उज्जैन प्रमुख व्यापारिक केंद्र था!
  • सबसे अधिक स्वर्ण मुद्राओं को गुप्त शासकों ने चलाए, स्वर्ण सिक्कों को दीनार कहा जाता था!
  • चाँदी के सिक्के शकों पर विजय के उपलक्ष्य में चलाया गया था इसे रुपयाका कहा जाता था!

धर्म

बौद्ध और जैन धर्म के विस्तार के कारण वैष्णव धर्म काफी पीछे छुटने लगा था लेकिन गुप्त शासकों के शासनकाल में बौद्ध तथा जैन धर्म के साथ-साथ वैष्णव धर्म को भी महत्त्व दिया गया! गुप्त शासक ने मूल रूप से वैष्णव धर्म के अनुयायी थे इन्ही शासकों के द्वारा वैष्णव धर्म का पुनः उत्थान किया गया!

मंदिर निर्माण के कला का विकास सबसे पहले गुप्त काल में हुआ! दशावतार मंदिर (झांसी) का निर्माण गुप्त शासको के शासनकाल में करवाया गया, यह विष्णु देव का मंदिर है, इस काल में विष्णु जी के दशोवतार में बराह का अवतार सबसे प्रसिद्ध था!

कला

गुप्त काल को भारत का स्वर्ण युग का काल कहा जाता है क्योंकी इस काल में सभी प्रकार के कला जैसे की मूर्ति कला, वास्तुकला, चित्रकला, साहित्य कला आदि का विकास देखने को मिलता है!

  • वास्तुकला – उत्तर भारत में नागर शैली, मध्य भारत में बेसर शैली तथा दक्षिण भारत में द्रविड़ शैली देखने को मिलाता है!
  • मूर्ति कला – बौद्ध तथा जैन धर्म के साथ-साथ हिन्दू धर्म में भी मूर्ति निर्माण के कला विकास हुआ!
  • बुद्ध के भूमि स्पर्श मुद्रा की मूर्ति का निर्माण गुप्त काल में किया गया!
  • चित्रकला – अजंता तथा बाघ की गुफा में गुप्त चित्रकारी किया गया है!
  • अजंता की गुफा औरंगाबाद (महाराष्ट्र) में है और यह बौद्ध धर्म के महायान शाखा से संवंधित है!
  • बाघ की गुफा मध्य प्रदेश में स्थित है इसमें लोक जीवन से संवंधित चित्र देखने को मिलता है!

साहित्य

  • गुप्तों की राजकीय भाषा संस्कृत थी! पुराणों का अंतिम संकलन भी गुप्त काल के दौरान हुआ!
  • बहुत सारे विद्वान गुप्त शासकों के दरवार में रहते थे इन्ही विद्वानों के द्वारा विभिन्य प्रकार के ग्रन्थ, साहित्य एवं नाटकों आदि की रचना किया गया
  • कालिदास – अभिज्ञान शाकुन्तलम, कुमार सम्भवम, मेघदूतम्, ऋतुसंहार, रघुवंशम, मालविकाग्निमित्रम, विक्रम वर्षीय आदि
  • विष्णु शर्मा – पंचतंत्र यह कहानियों का संग्रह है!
  • वात्स्यान – कामसूत्र
  • कामानंद – नीतिसार
  • शूद्रक – मृच्छकटीकम
  • अमर सिंह – अमर कोस यह शव्दकोश था
विज्ञान एवं प्रधौगिकी
  • आर्यभट – आर्यभात्यम, सूर्य सिद्धांतम, दशगीतिका आदि आर्यभट की रचना है!
  • शून्य की खोज, दशमलब की खोज तथा पाई की खोज आर्यभट के द्वारा किया गया
  • आर्यभट ने विश्व को पहलीबार बताया की पृथ्वी सूर्य की परिकर्मा करती है
  • बरामाहिर – इसने सबसे पहले बताया की चन्द्रमा पृथ्वी की तथा पृथ्वी सूर्य की परिकर्मा करती है!
  • ब्रहाम्गुप्त –इन्हें भारत का न्यूटन कह कर संवोधित किया जाता है! इन्होने ब्रहम सिद्धांत की रचना किएँ!

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