Harappa ka Patan : भारत ही नहीं वल्कि विश्व की सबसे विस्तृत व समृद्ध सभ्यताओं में से एक हड़प्पा सभ्यता या सिन्धु घाटी सभ्यता लगभग 1000 वर्षों तक रहा| अचानक पतन होने के पीछे क्या कारण रहें इस बारे में तो कोई स्पस्ट जानकारी प्राप्त नहीं है| लेकिन इसके पतन को लेकर विद्वानों का एक मत नहीं है पर फिर भी इस पर इतिहासकारों और विद्वानों के द्वारा अलग-अलग तर्क दिए जातें है|
हड़प्पा सभ्यता के पतन | Harappa ka Patan
विद्वान | मत |
---|---|
के. यु. आर. कनेडी | प्राकृतिक आपदा |
जॉन मार्शल | प्रशासनिक शिथिलता |
गार्डन चाइल्ड एवं व्हीलर | बाह्य एवं आर्यों के आक्रमण |
जॉन मार्शल, मैके एवं एस. आर. राव | बाढ़ |
ऑरेल स्टाइन, ए. एन. घोष | जलवायु परिवर्तन |
एम. आर. साहनी | भूगर्भिक परिवर्तन |
एच. टी. लैम्ब्रक | अस्थिर नदी तंत्र |
रेइक्स | भूकम्प |
यह बहुत बड़ा और विशाल सभ्यता थी इस कारण संभवतः अलग-अलग स्थलों के पतन के लिए अलग अलग कारण रहे होंगे जो निम्न हो सकते है|
- वाह्य या आर्यों का आक्रमण
- प्रशाशनिक शिथिलता (जॉन मार्शल)
- आर्थिक कारण
- बाढ़
- सुखा
- नदियों का जलमार्ग परिवर्तित
वाह्य या आर्यों का आक्रमण
एक साथ बहुत सारे नरकंकाल व यत्र-तत्र कंकालों (हड्डीयों) के मिलने से यह अनुमान लगाया जाता है की यहाँ बड़े पैमाने पर नरसंघार हुआ होगा क्योंकी अगर प्रकृति रूप से लोगों की मृत्यु होता तो उन सभी का अंतिम संस्कार हुआ होता और जो आभूषण मिले है, वह सभी भी विखरे हुए नहीं होते|
विदेशी आक्रमण की अवधारणा सबसे पहले गार्डन चाइल्ड ने 1934 ई० में दिया और फिर बाद में 1946 ई० में व्हीलर ने आयों के आक्रमण को इसकी पतन का कारण माना| किन्तु कुछ विद्वानों ने इस तर्क का समर्थन नहीं किया क्योंकी उनका मानना है की सिन्धु घाटी सभ्यता एक बड़ी और विशाल सभ्यता थी अतः एक आक्रमण से इतनी बड़ी सभ्यता (harappa sabhyata) का अंत नहीं हो सकता और ना ही को शास्त्रों (हथियारों) का प्रमाण मिला है|
प्रशाशनिक शिथिलता
जॉन मार्शल का मानना था कि नगर, तेजी से ग्रामीन क्षेत्रों में बदला रहा था जो इस बात की ओर संकेत करता है की धीरे-धीरे प्रशाशनिक व्यवस्था विगडा होगा जिस कारण इसका पतन हो गया| किन्तु आधुनिक इतिहासकार और विद्वान इसलिए इस तर्क को भी नहीं मानते है की अगर प्रशाशनिक व्यवस्था का कोई एक स्तर अव्यवस्थित हो भी जाए, तो भी इस अव्यवस्था के कारण पतन नहीं हो सकता| हड़प्पा सभ्यता का नगर निर्माण योजना
आर्थिक कारण
आधुनिक इतिहासकार और विद्वान का तर्क है की सिन्धु घाटी सभ्यता एक कृषि प्रधान सभ्यता थी| इस समय कृषि के उत्पाद में कमी, वाणिज्य व उधोग में मंदी तथा समय के साथ तकिनिक का विकास ना हो पाना इस सभ्यता के अंत का कारण रहा होगा| लेकिन इस पर भी सभी विद्वानों का एक मत नहीं है, इसका सबसे बड़ा कारण है की इस प्रकार की मंदी व उत्पादन में कमी किसी एक क्षेत्र में आ सकता है परंतु सभी जगह एक साथ नहीं आ सकता| मजबूत आर्थिक स्थिति के कारण
बाढ़
मोहनजोदड़ो में बाढ़ का प्रमाण मिला है, अक्सर कहा जाता है की बाढ़ के कारण मोहनजोदाड़ो सात बार उजड़ा भी और फिर बसा भी| किन्तु इसका भी विरोधाभास है की बाढ़ आने से दो या चार नगर का पतन हो सकता है लेकिन सिन्धु सभ्यता के तो कई सारे नगर थे जैसे की चन्हुदड़ो, लोथल, कालीबंगा, सुताकंगेदोर आदि इस सभी नगरों का पतन एक साथ तो नहीं हो सकता|
सुखा या सुखाड़
कुछ विद्वानों के द्वारा ये तर्क दिया जाता है की क्षेत्र सुखाग्रस्त हो गया होगा और घघ्घर नदी भी सुख गया होगा और इसी सुखा के कारण इस सभ्यता का पतन हो गया| किन्तु सिन्धु सभ्यता का फैलाब जिन क्षेत्रों में था वहाँ केवल घघ्घर नदी ही नहीं वल्कि सिन्धु नदी, सरस्वती नदी, रावी नदी आदि कई सारे नदियों का वाहाव था| अतः सुखा इसका कारण नहीं हो सकता|
नदी के मार्ग में परिवर्तन
सिन्धु नदी की धाराओं में अचानक से परिवर्तन आ गया और वह अपनी मूल दिशा से दूर वाहने लगी| जिस कारण सिन्धु नदी से जो संसाधन प्राप्त होते थे वह नहीं होने लगा और पतन हो गया| इसका भी विरोध भाष है की एक साथ सभी नदियों के मार्ग में तो परिवर्तन तो नहीं आ सकता है|
अतः हड़प्पा का पतन (harappa ka patan) को लेकर जो भी तर्क दिए जाते हों लेकिन अभी तक यह स्पस्ट नहीं है की इतने विस्तृत और और आर्थिक रूप से संम्पन सभ्यता (harappa) के पतन के पीछे क्या कारण रहें होंगे|