हड़प्पा सभ्यता का विस्तार | Harappa Sabhyata ka Vistar

Harappa Sabhyata ka Vistar : ब्रिटिश शासनकाल के दौराण इस सभ्यता से जुड़े विभिन्य स्थलों का उत्खनन करवाया गया और उत्खनन से प्राप्त सक्क्षों के आधार पर यह अनुमान लगाया गया की यह भारत की ही नहीं वल्कि विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यताओं जैसे की मिस्र की सभ्यता, मेसोपोटामिया की सभ्यता तथा चीन की सभ्यता में से एक है| इतना ही नहीं वल्कि यह भी कहा गया की हड़प्पा सभ्यता इन सभी सभ्यताओं से विशाल और विस्तृत सभ्यता है और जैसे-जैसे इसका उत्खनन करवाया गया इसका क्षेत्रफल बढ़ता ही गया|

हड़प्पा सभ्यता का विस्तार (Harappa Sabhyata ka Vistar)

लगभग हर स्रोत्रों के द्वारा प्रकाशित की गई जनकारी के अनुसार इसके विस्तार के बारे में अलग-अलग बताया गया है| कुछ स्रोत्रों के अनुसार अगर मिस्र की सभ्यता और नील नदी की सभ्यता के क्षेत्रफल को भी आपस में मिला दिया जाय तो भी हड़प्पा सभ्यता का विस्तार उससे 12 गुणा अधिक था|

हड़प्पा सभ्यता का विस्तार उत्तर में मांड (जम्मू-कश्मीर), दक्षिण में दैमाबाद (महाराष्ट्र), पूर्व में आलमगीरपुर (उत्तर प्रदेश), पक्षिम में सुत्कान्गेडोर (बलूचिस्तान) तक है| पूर्व से पक्षिम तक की लम्बाई 1600 किलोमीटर तथा उत्तर से दक्षिण तक की चौड़ाई 1400 किलोमीटर था|

इसका आकार त्रिभुजाकार था और यह लगभग 12,99,600 वर्ग किलोमीटर में फैला था| हड़प्पा सभ्यता के स्थल तीन देशों भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से मिलते हैं| भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान पहले भारत का ही भु-भाग रहा था|

भारत के सन्दर्भ में गुजरात, राजस्थान, हरियाण, पंजाब, पक्षिमी उत्तर प्रदेश, महारास्ट्र और जम्मू कश्मीर तक इस सभ्यता का विस्तार था|

ब्रिटिश काल के दौराण इस सभ्यता के लगभग 40-50 स्थलों को ही खोजा गया था लेकिन स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद अबतक लगभग 1500 स्थल खोजे जा चुके है| जिसमे 900 से अधिक स्थल भारत से, लगभग 500 स्थल पाकिस्तान से तथा 2 स्थल अफानिस्तान से मिले हैं| स्वतंत्रता के बाद हड़प्पा सभ्यता के सबसे अधिक स्थल भारत के गुजरात राज्य में खोजे गये है|

यह सभ्यता अन्यंत ही विकसित व विशाल, नगरीय सभ्यता सभ्यता थी| यहाँ के निवासियों के द्वारा पत्थर व कांस्य के बने उपकरणों का उपयोग किया जाता था| प्रथम बार कांस्य का इस्तेमाल किए जाने के कारण इसे कांस्य सभ्यता भी कहा जाता जाता है| – हड़प्पा सभ्यता का पतन कैसे हुआ

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