सिन्धु घाटी सभ्यता (हड़प्पा सभ्यता का परिचय) | Sindhu Ghati Sabhyata

Sindhu Ghati Sabhyata : जिसे की हड़प्पा सभ्यायता या सिन्धु सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है का उदय भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर और पक्षमि भाग में हुआ| यह सभ्यता भारतीय उपमहाद्वीप में नगरीय क्रांति के अवस्था को दर्शाती है| 20 शताब्दी के शुरुआत तक पुरातावेताओं का मानना था की वैदिक सभ्यता ही भारत की सबसे प्राचीन सभ्यता है लेकिन 1921 ई० में दयाराम साहनी के नेतृत्व में हड़प्पा की खुदाई की गई तो एक नई सभ्यता होने का साक्ष्य मिला जिससे भारत का इतिहास ही बदल गया| अब क्योंकी सबसे पहले हड़प्पा का उत्खनन किया गया इसलिए इसे हड़प्पा सभ्यता के नाम से जाना जाने लगा हालाँकि इसे सिन्धु सभ्यता या फिर सिन्धु घाटी सभ्यता (sindhu ghati sabhyata) के नाम से भी जाना जाता है|

सिन्धु घाटी सभ्यता का इतिहास | Sindhu Ghati Sabhyata

जब चार्ल्स मैसन 1826 ई० में वर्तमान के पकिस्तान क्षेत्र का दौरा किया तो इन्होने यह अनुमान लगाया की इस क्षेत्र में कोई सभ्यता रही होगी| इसकी जानकारी इन्होने अपनी पत्रिका “नैरेटिव ऑफ़ जर्नी” में व्यक्त किए और यह लेख धीरे-धीरे लोगों के बीच फैलनी शुरू हुई|

अलेक्जेंडर कनिंघम ने 1853-56 ई० में पहली बार इस क्षेत्र के बारे में शोध करने का प्रयास किया किन्तु इस सभ्यता के बारे में पुरे व्यवस्थित तरीके जनकारी नहीं दे सकें और यह भी असफल रहे|

1856 ई० में ब्रंटन बन्धु (जॉन ब्रंटन तथा विलियम ब्रंटन) के नेतृत्व में कराँची और लाहौर के बीच जब रेलवे के पटरियाँ बिछाने का काम किया जा रहा था तब वहाँ से ईटें मिलने लगी| लोगों को इन ईटो के बारे में कुछ भी जनकारी नहीं थी अतः इन ईटें को इन्होने रेलवे के ट्रैक बनाने के लिए प्रयोग करने लगें|

उस समय भारतीय पुरातात्विक विभाग के अध्यक्ष रहे सर जॉन मार्शल के नेतृत्व के 1921 ई० में इस क्षेत्र में खुदाई का कार्य प्रारंभ किया गया और खुदाई के काम का जिम्मा (लोकल लेवल पर) दो भारतीय दयाराम साहनी और राखल दास बनर्जी को सौंपा गया, इन्ही के देख-रेख में उत्खनन कार्य करवाया गया|

1921 ई० में दयाराम साहनी के नेतृत्व में हड़प्पा और 1922 ई० में राखल दास बनर्जी के नेतृत्व में मोहनजोदड़ो का उत्खनन करवाया गया| किन्तु पहलीबार हड़प्पा का उत्खनन किये जाने के कारण, इसे हड़प्पा सभ्यता कहा गया| यहाँ से प्रथम बार नगरीय व्यवस्था का प्रमाण मिला इसलिए इसे भारत का प्रथम नगरीकरण सभ्यता कहा जात है| मोहनजोदड़ो से सर्वाधिक कंकालों की प्राप्ति हुई इसलिए मोहनजोदड़ो को मृतिको का टीला कहा गया| – पाषाण काल का इतिहास

हड़प्पा सभ्यता के निर्माता

कंकालों के परिक्षण से प्राप्त जनकारी के अनुसार यहाँ चार प्रजातियाँ भुमध्सागरीय, ऑस्ट्रेलॉइड, अल्पाइन और मंगोलाइड निवास करती थी, जिसमे भुमध्सागरीय प्रजाति की संख्या अधिक थी| भुमध्सागरीय प्रजाति का संबंध द्रविड़ जाति से था संभवतः द्रविड़ हड़प्पा सभ्यता का निर्माता रहे होंगे| सर्वप्रथम बी० बी० लाल ने प्रतिपादित किया हड़प्पा सभ्यता के लोग एवं ऋग्वैदिक आर्य दोनों एक ही थे| विद्वानों ने हड़प्पा सभ्यता का निर्माता अलग-अलग लोगों को माना है जैसे कि –

विद्वानहड़प्पा सभ्यता के निर्माता
डॉ. लक्ष्मण स्वरूप एवं रामचन्द्रआर्य
गार्डन चाइल्ड, व्हीलर, क्रेमरसुमेरियन (मेसोपोतामिया)
राखालदास बनर्जी, सुनीति चटर्जीद्रविड़
अमलानन्द घोष, धर्मपाल अग्रवालसोती संस्कृति
फेयर सर्विस, रोमिल थापरग्रामीण संस्कृति/बलूची ग्रामीण संस्कृति

ब्रिटिश काल में हुए खुदाइयों के अधार पर पुरातत्वेत्ताओं और इतिहासकारों का ये अनुमान है की हड़प्पा सभ्यता के नगर कई बार बसे और उजड़े होंगे| इस सभ्यता के अब तक कई स्थल खोजे जा चुके हैं जिसमे 917 स्थल भारत में, 481 पाकिस्तान में तथा 2 स्थल अफगानिस्तान में खोजे गए है| दिसंबर 2014 में “भिरडाणा” हड़प्पा सभ्यता का अबतक के खोजा गया सबसे प्राचीन नगर है| परंतु हड़प्पा भारत में खोजा गया पहला पुराना शहर था|

हड़प्पा सभ्यता के निर्माण के बारे में दो मत दिए जातें हैं –

  1. विदेशी मत
  2. देशी मत (स्थानीय मत)

विदेशी मत – मुख्य रूप से विदेशी इतिहासकारों के अनुसार हड़प्पा सभ्यता का निर्माण सुमेरियन सभ्यता के लोगों ने किया और यही लोग यहाँ आकर वसे| इसके पीछे विदेशी इतिहासकारों द्वारा तर्क दिया जाता है कि सिन्धु घाटी सभ्यता के भवन, मुहर तथा कुछ धार्मिक परम्परा सुमेरियन सभ्यता से मिलती है|

स्थानीय मत – स्थानीय तथा कुछ विदेशी इतिहासकार के अनुसार सिन्धु घाटी सभ्यता का निर्माण भारतियों ने ही किया| स्थानीय और कुछ देवेशी इतिहासकारों को भी मानना है कि सिन्धु घाटी सभ्यता के भवन तथा सुमेरियन सभ्यता के भवन एक जैसे जरुर है किन्तु भवनों में प्रयोग किए जानेवाले ईटें का आकार अलग-अलग है इसके अलावे भवनों में नालियों की व्यावस्था व मुहरों की गुणवत्ता भी अलग-अलग हैं|

राखल दास बनर्जी ने ये तर्क दिए की हड़प्पा सभ्यता के निर्माता द्रविड़ जाति के लोग थे और इसी मत को सबसे अधिक महत्त्व भी दिया जाता है|

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