जलालुद्दीन खिलजी | Jalaluddin khilji History
दिल्ली सल्तनत के खिलजी वंश का संस्थापक जलाजुद्दीन फिरोज खिलजी 1290 से 1296 तक सुल्तान रहा| हालाँकि इन्होने अपना जीवन एक सैनिक के रूप में शुरू किया| अपनी योगता के बल पर ‘सर-ए-जहाँदार (शाही अंगरक्षक) का पद प्राप्त किया और बाद में समाना का सूबेदार नियुक्त किया गया|
मंगोल आक्रमण इसके जीवन में बड़े बदलाव लेकर आया क्योंकि मंगोल आक्रमण का सफलतापूर्वक सामना किए जाने के बाद अंतिम गुलाम वंशी शासक कैकुबाद इसे दिल्ली बुला लिया और इसे आरिज-ए-मुमालिक की उपाधि दी|
राज्याभिषेक
शाइस्ता खां की उपाधि के साथ किलोखरी में अपना राज्याभिषेक करवाया और करीब एक वर्ष बाद दिल्ली में प्रवेश किया| यह दिल्ली सल्तनत का पहला सुल्तान जिस नीति दूसरों को प्रशन्न करने के सिधांत पर आधारित थी| जिस समय इन्होने अपना राज्याभिषेक करवाया उस समय इसकी उम्र 70 वर्ष थी और छः वर्षों तक शासन किया लेकिन अल्प आयु में भी इन्होने ने कई महत्वपूर्ण कार्य किए| कहा जाता है कि इन्होने सर्वप्रथम दक्षिण भारत के अभियानों की शुरुआत किया|
उपलब्धि
1290 में कड़ामानिकपुर (प्रयागराज) के सूबेदार मलिक छज्जू, ‘सुल्तान मुगिसुद्दीन’ की उपाधि धारण कर अपने नाम से सिक्के चलवाए एवं खुतबा (प्रशंसात्मक रचना) पढ़ा| इस विद्रोह को सफलतापूर्वक दबा दिया| इसी अवसर पर कड़ामानिकपुर की सूबेदार अपने भतीजे अलाउद्दीन खिलजी को दे दिया|
1292 ई. में मंडौर तथा झाईन के किले को जीतने में सफल रहा, साथ ही दिल्ली के निकटवर्ती क्षेत्रों में ठगों का दमन किया| 1292 ई. में ही मंगोल आक्रमणकारी हलाकू का पौत्र अब्दुल्ला करीब डेढ़ लाख सैनिकों के साथ पंजाब पर आक्रमण कर सुमान तक पहुँच गया परन्तु अलाउद्दीन खिलजी मंगोलों को परास्त करने में सफल रहा अतः संधि के साथ युद्ध समाप्त हुआ| किन्तु चंगेज खां के नाती उलगु ने अपने 4000 समर्थकों के साथ इस्लाम धर्म को स्वीकार कर दिल्ली में में रहने का निश्चय किया, इनलोगों को ‘नवीन मुसलमान’ कहा गया| | कालांतर में जलालुद्दीन खिलजी (jalaluddin khilji) अपनी पुत्री का विवाह उलुग खां से कर दिया और साथ ही रहने के लिए दिल्ली के ही समीप ‘मुगरलपुर’ नाम की बस्ती वसाई गई|
हत्या
1296 ई० में जलालुद्दीन खिलजी के भतीजे अलाउद्दीन खिलजी ने दक्षिण भारत के यादव वंशीय शासक राजा रामचंद्र देव के राज्य देवगिरी को जीत लिया| जीत के बाद जलालुद्दीन खिलजी, अलाउद्दीन खिलजी से मिलने तथा बधाई देने के लिए कड़ा पहुँचा| सत्ता की लालसा में जलालुद्दीन खिलजी की हत्या इसी के भतीजे एवं दामाद अलाउद्दीन खिलजी अपने बड़े भाई अलमास वेग की सहयोग से मुहम्मद सलीम और इत्यारुद्दीन हुद्द के हाथों 1296 ई. में जलालुद्दीन खिलजी (jalaluddin khilji) की हत्या करवा दी और कड़ा में ही स्वंय को सुल्तान घोषित कर लिया|
जलालुद्दीन खिलजी की विधवा अपने पुत्र कद्र खां को रुकनुदद्दीन इब्राहीम ने नाम से दिल्ली का सुलतान घोषित किया| लेकिन गद्दी को लेकर कोई विकट स्थिति उत्पन ना हो इसलिए अलाउद्दीन खिलजी, खिलजी वंश का सुल्तान बनाने के तुरंत बाद ही जलालुद्दीन खिलजी के पुत्र अर्कली खां एवं रुकनुद्दीन इब्राहीम समेत पुरे परिवार को बड़े क्रूरता से हत्या कर दिया| और बलबन के बनाए लाल महल में अपना राज्याभिषेक करवाया|