महमूद गजनवी जब अहंकार हुआ चूर-चूर|

10वीं शताब्दी में अल्पतगिन नामक व्यक्ति ने गजनी में एक स्वतंत्र राज्य में स्थापना किया सुबुक्तगिन इसी का पुत्र था जिसके नेतृत्व में भारत पर प्रथम तुर्क आक्रमण किया गया लेकिन यह आक्रमण सफल नहीं रहा| सुबुक्तगिन का सामना राजा जयपाल (वर्तमान में अफगानिस्तान का क्षेत्र) से हुआ जिसका कोई परिणाम नहीं निकला है और एक सन्धि के साथ समाप्त हो गया|

महमूद गजनवी का आक्रमण

सुबुक्तगिन का पुत्र महमूद गजनवी जोकि यामिनी वंश का शासक था इसने लुट-पाट के उदेश्य से भारत पर 17 बार आक्रमण किया| गजनवी ने भारत पर पहला आक्रमण 1000 ई० में किया| इस युद्ध में जयपाल की पराजय हुई, जयपाल जोकि महमूद गजनवी के पिता सुबुक्तगिन को युद्धों में पहले ही हरा चूका होता है| इस कारण गजनवी से हार को सहन नहीं कर सका और आत्महत्या कर लिया|

राजा जयपाल के पुत्र आनंदपाल, ग्वालियर, कन्नौज, अजमेर, उज्जैन को मिलाकर सेना का एक संजुक्त संघ बनाया जिसे गजनवी ने 1008 ई० में पराजित किया| गजनवी अगला आक्रमण 1005 ई० में मुल्तान पर किया और मुल्तान के राजा अब्दुल फ़तेह दाउद को हराकर मुल्तान जीत लिया|

राजपाल और विद्याधर

गजनवी अगला आक्रमण 1018-19 के बीच कन्नौज पर किया कन्नौज के शासक राज्यपाल बिना युद्ध लड़ें ही भाग गया इस कायरता के कारण कालिंजर के चंदेल वंशी शासक विद्याधर अपने मित्र राजाओं का संघ बनाकर राज्यपाल को खोजकर हत्या करवा दी|

राज्यपाल की हत्या करवा देने के कारण महमूद गजनवी विद्याधर के ऊपर आक्रमण किया किन्तु विद्याधर भी उस समय का एक शक्तिशाली शासक था परिणामस्वरूप महमूद गजनवी जोकी अपने जीवन एक भी युद्ध नहीं हारा होता वह विद्याधर से युद्ध किया जिसका कोई परिणाम नहीं निकाला|

पूरी तैयारी के साथ विद्याधर पर पुनः आक्रमण किया लेकिन विद्याधर को हरा पाना संभव नहीं हो पा रहा था अतः 1022 ई० में विद्याधर के साथ सन्धि कर लिया और अपने जीते हुए 15 किलों के दान स्वरुप विद्याधर को दे दिया|

सोमनाथ मंदिर

भीम देव (मूलराज प्रथम) के शासनकाल में 1024-25 ई० में सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण कर लुट-पाट किया और मंदिर के शिवलिंग को तोड़कर गजनी के जामी मस्जिद के सीढियों में लगा दिया| 17वां आक्रमण 1027 ई० में सिन्ध पर किया अंततः 1030 ई० महमूद गजनवी की मृत्यु हो गया|

महमूद गजनवी ने सबसे पहले संस्कृत मुद्रलेख चाँदी के सिक्के जारी किए जिसके एक तरफ संस्कृत भाषा तथा दूसरी तरफ अरबी भाषा में लिखा होता था|

उपाधि

गाजी – दुसरे धर्मो के हत्या करने वाला

बुताकिन्स – मूर्तियों को तोड़ने वाला

नोट – महमूद गजनवी सुल्तान की उपाधि धारण करने वाला पहला तुर्क शासक था

दरवारी कवि

उत्वी – यह महमूद गजनवी का शाही कवि था इसने किताब-उल-यामिनी तथा तारीख-ए-यामिनी की रचना किया|

अल्बरुनी – किताब-उल-हिन्द तथा तारीख-ए-हिन्द

फिरदौसी – शाहनामा (अफगानिस्तान का महाभारत) इस रचना के कारण फिरदौसी को पूर्व का होमर या हैमर की उपाधि दिया गया|

बैहाकी – तारीखे-ए-सुबुक्तगिन इस रचना के कारण इसे पूर्वी पेप्स की उपाधि दिया गया|

नोट – गजनवी के इतिहाकारों ने जयपाल को “ईश्वर का शत्रु” कहकर संवोधित किया है|

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