Category: Notes

सोलंकी वंश का इतिहास | Solanki vansh History

सोलंकी राजवंश चालुक्य का सोलंकी वंश, जिसे की गुजरात का सोलंकी व अन्हिलवाड के सोलंकी वंश के नाम से जाना जाता है, ऐसा इसलिए क्योंकी प्राचीन भारतीय इतिहास में गुजरात को अन्हिलवाड के नाम से जाना जाता था| इस वंश के संस्थापक मूलराज प्रथम ने गुजरात के एक बड़े भूभाग को जीता और अन्हिलवाड को […]

परमार वंश का इतिहास | parmar vansh History

मालवा के परमार वंश परमार वंश के पूर्व शासक राष्ट्रकूट वंश के अधीन सामन्त थे, जिसकी पुष्टि किया गया है किन्तु कुछ विद्वानों को मानना है की यह गुर्जर प्रतिहार वंश के सामन्त थे| श्री हर्ष ने परमार को राष्ट्रकूटों की अधीनता से स्वतंत्र करवाया| खोट्तिम नामक जनजाति को हराकर उसके संपत्ति को लुटा और […]

मुहम्मद बिन कासिम का भारत पर आक्रमण

मुहम्मद बिन कासिम भारत में प्रथम आक्रमण मालावार तट (केरल) में व्यापरियों के रूप में हुआ था ना की सिन्ध पर अतः भारत में इस्लाम का आगमन केरल से हुआ| सिन्ध पर आक्रमण के जानकारी का मुख्य स्रोत्र चचनामा है जोकि मुहम्मद बिन कासिम के एक अज्ञात सैनिक के द्वारा अरबी भाषा में लिखी गई […]

राष्ट्रकूट वंश | Rashtrkut vansh

राष्ट्रकूट वंश राष्ट्रकूट वंश की स्थापना दन्तिदुर्ग ने 735 ई० में किया मान्यखेट या मनिकर को राजधानी बनाया| कहा जाता है की स्वतन्त्र राष्ट्रकूट वंश की स्थापना से पहले दन्तिदुर्ग बादामी के चालुक्य के सामंत थे| दन्तिदुर्ग को दंतिवर्मन के नाम से भी जाना जाता है, दन्तिदुर्ग द्वारा उज्जयिनी में हिरंगार्भ यज्ञ करवाया गया था, […]

कार्कोट वंश का इतिहास | कश्मीर के राजवंश

कार्कोट वंश दुर्लभ वर्धन द्वारा स्थापित कार्कोट वंश की जानकारी मुख्य रूप से कल्हण की पुस्तक राजतरंगिणी के माध्यम से मिलती है, संस्कृत भाषा में लिखा गया इस पुस्तक में 8000 श्लोक हैं जिससे 800 से 1200 ई० तक के कश्मीर के इतिहास के बारे में जानकारी मिलती है| इस पुस्तक के अनुसार कश्मीर में […]

सैय्यद वंश का इतिहास

सैय्यद वंश तुगलक वंशी शासक महमूद शाह के शासनकाल में 1398 ई० में तैमुर ने दिल्ली सल्तनत पर आक्रमण किया तो खिज्र खां ने तैमुर का साथ दिया तैमुर वापस लौटाते समय मुल्तान, लाहौर तथा दिवालपुर इन तीनों की सुबेदारी खिज्र खां को सौप दी| इन क्षेत्रों से जो भी राजस्व प्राप्त होता था खिज्र […]

लोदी वंश का इतिहास

लोदी वंश सैय्यद वंश का पतन के बाद बहलोल लोदी ने दिल्ली पर लोदी वंश की स्थपाना किया जोकि करीब 75 वर्षो तक रहा| बहलोल लोदी (1451 से 1489 ई०) 1451 ई० में दिल्ली का शासक बना और गाजी की उपाधि धारण की अपने सत्ता के सबसे बड़े शत्रु हामिद खां की हत्या करवा दी […]

गुर्जर प्रतिहार वंश का इतिहास

गुप्त साम्राज्य के पतन के बाद गुप्तों के अधीन छोटे-छोटे राज्य अपने-आप को स्वतंत्र घोषित कर लिए जिसमे गुजरात के चालुक्य, जेजाजभुक्ति के चंदेल, मध्य भारत के कलचुरी, शागाम्ब्री के चौहान और मालवा के परमार आदि प्रमुख है गुर्जर प्रतिहार वंश इन्ही में से एक था| जिस समय यह स्वतंत्र हुए उस समय समय उत्तर […]

चौहान वंश | Chauhan vansh History

चौहान वंश के अनेक शकाओं में सातवीं शताब्दी में वासुदेव द्वारा स्थापित शाकम्भरी (अजमेर के निटक) के चौहान वंश का इतिहास में विशेष स्थान है| इस वंश के बारे आरंभिक जनकारी हर्ष के प्रस्तर अभिलेख तथा सोमेश्वर के विजौलिया प्रस्तर अभिलेख से प्राप्त होता है| वाक्यपति राज प्रथम इस वंश के प्रारंभिक शासक कन्नौज के […]

गढ़वाल वंश का इतिहास | Gadhwal vansh History

गढ़वाल वंश कन्नौज जोकि कभी त्रिपक्षीय संघर्ष का केंद्र हुआ करता था जिस पर गुर्जर प्रतिहार वंश, पाल वंश और राष्ट्रकूट वंश के शासक अपना-अपना दावा करते थे| लेकिन गुर्जर प्रतिहार वंश और राष्ट्रकूट वंश के पतन के बाद चन्द्रदेव ने पाल शासक गोपाल से पराजित कर और कन्नौज की सत्ता अपने हाथों में ले […]